Last modified on 7 सितम्बर 2020, at 21:27

वह धरती हो गई / अशोक शाह

धरती ने जो नज़्म कहा
नदी बन गयी

नदी-मिट्टी ने मिलकर
लिख डाले गीत अनगिन
होते गये पौधे और जीव

इन सबने मिलकर लिखी
वह कविता आदमी हो गई

धरती को बहुत उम्मीद है
अपनी आखि़री कविता से