अपने ही आप में ठहरा हुआ
वह
अचानक कुछ बुदबुदाता है
गहरी नींद सोया जल
उचट कर जाग जाता है।
जल उत्तेजित
जल उद्वेलित, आलोड़ित,
जल से लिपटता है जल
और फाड़ कर जल को निकलता
कपिल शूर वह
सँभाले प्रेम और भय से लिपटती हुई
मेरी गर्भिणी माँ को ...
वह नाम मैं हूँ
गहरी नींद मे जल जिसे
जपता है।
(1980)