हर आवाज़ पर
हवा की तरह
दौड़ता हुआ वह लड़का
लट्टू की तरह नाचता है
हर इशारे पर
सुबह से शाम
और शाम से रात तक
इसी तरह
ज़िन्दगी गुज़ारता है
वह लड़का
सुबह होते ही
भट्ठी में कोयले के साथ
सुलगता है
दिन भर चाय की पत्ती के साथ
उबलता है
डबलरोटी की तरह
सिंकता है
और आधी रात के बाद
राख की तरह
ढेर हो जाता है वह लड़का
हर आवाज़ पर
हवा की तरह
दौड़ता हुआ वह लड़का