Last modified on 1 मई 2011, at 15:34

वह - 2 / केदारनाथ अग्रवाल

चेहरा लगाए है
गुरिल्ला का
सुबह आने के लिए
दिन का दायित्व
निभाने के लिए
धूप जो मर गई है
फिर भी है
उसको जिलाने के लिए

रचनाकाल: ३०-०४-१९६८