बचपन के एक सदमे में
आवाज़ खो बैठी
वह लड़की
अब दरवाज़े-दरवाज़े माँग रही है
अपनी वाणी
बच्चे किलककर हँसते हैं
जब वह रोती है गूँगी ।
बचपन के एक सदमे में
आवाज़ खो बैठी
वह लड़की
अब दरवाज़े-दरवाज़े माँग रही है
अपनी वाणी
बच्चे किलककर हँसते हैं
जब वह रोती है गूँगी ।