जैसे रो-धो कर चुप हो हाथ-मुँह धो
अंतिम हिचकी भर
वापस चूल्हे के पास लौटती है नई वधू
भाई के जाने के बाद
वैसे ही लौटो तुम भी
बहुत हुआ बहुत रोए-गाए
अब साँझ हो रही है
बत्ती जलाओ और शुरू करो फिर वही पाठ
वहीं जहाँ छोड़ा था कल।
जैसे रो-धो कर चुप हो हाथ-मुँह धो
अंतिम हिचकी भर
वापस चूल्हे के पास लौटती है नई वधू
भाई के जाने के बाद
वैसे ही लौटो तुम भी
बहुत हुआ बहुत रोए-गाए
अब साँझ हो रही है
बत्ती जलाओ और शुरू करो फिर वही पाठ
वहीं जहाँ छोड़ा था कल।