यान बनाए बहुत नर वायुयान परधान।
अमित भार लेकर उडै़ चलै मारग असमान।।
चलै मारग असमान जहाँ नहिं खग प्रभुताई।
दूर देश की राह छिनक महं तय कर जाई।।
जौन चलावैं यान नभ ईश दीन्ह बुधि ज्ञान।
धन्यवाद रहमान दे जिन निर्मायो यान।।
यान बनाए बहुत नर वायुयान परधान।
अमित भार लेकर उडै़ चलै मारग असमान।।
चलै मारग असमान जहाँ नहिं खग प्रभुताई।
दूर देश की राह छिनक महं तय कर जाई।।
जौन चलावैं यान नभ ईश दीन्ह बुधि ज्ञान।
धन्यवाद रहमान दे जिन निर्मायो यान।।