वह सोचता
ऐसी हो पत्नी
जो गुनगुनाती रहे रसोई में
ज़्यादा गुनगुनाए
जब काम हो ज़्यादा
जब हो खाली
बस मुस्काए।
वह न हो नकचढ़ी
घबराए प्रेमिका सी
लाजवंती सी शरमाए
हँसी बजे चण्टियों की तरह
सारे घर में
टनन् टनन् टनन् ।
उसे क्या पता
इस देश में
हो जाती हैं पत्नियाँ चिड़चिड़ी
उम्र भर साथ रह रह कर
हल्दी हींग से गन्धाती
वे करती हैं बातें कुकिंग गैस की
सर्फ गरममाले की
बढ़ती महंगाई की
पड़ोसन की साड़ी की ।
बार-बार पत्नी या पति के माँ बाप
आते हैं बीच बहस में
उतर आता पूरा खानदान ज़ुबान पर
कोसी जाती पुररखों की पूरी खामियां।
दायित्व के बीच पति पत्नी
एक दूसरे के दोस्त कम
दुश्मन ज़्यादा होते जाते हैं।
बावजूद इस के
वह सोचता
पत्नी आए विज्ञापन के मॉडल की तरह
परोसे खाना गगन वनस्पति से बना
धोए कपड़े सर्फ से
लगाए नया उजाला
नाचती हुई महके टलकम लगाए
मुद्राएँ बनाए मनभावनी
सोए साड़ी पहन लिपस्टिक लगा
पार्वती भाभी की तरह।
सच्च
टीवी ने उसे मस्के लगा दिए
बुरे चस्के लगा दिये।