तुम सोचते हो अपने
उदित होते हुए दिन को
तैरते हो कठिनाई से
घण्टों पानी में
रात
ध्यान रखती है तुम्हारा
रात-भर
नींद में चलती हुई साँसों में
तुम ध्यान नहीं देते
कि तुम विदा हो रहे हो II
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित