भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पांच डांडानी तारी झोपड़ी वो लाड़ी।
एक इटड़ी नो तारो भीतड़ी वो लाड़ी।
पांच डांडानी तारी झोपड़ी वो लाड़ी।
एक सड़का नो तारो नीपणो वो लाड़ी,
पांच डांडानी तारी झोपड़ी वो लाड़ी।
- दुल्हन अपने पिता के घर से जब विदा होती है, तब वर पक्ष की महिलाएँ ये गीत गाती हैं- लाड़ी से कहा है कि तेरा घर पाँच डाण्डे का है अर्थात् बहुत छोटा है। एक ईंट की दीवार है। घर में जगह कम है एक बार में झाड़ू लग जाती है।