वह जा रही होती है
किसी और के पास
ठीक यही वक़्त होता है
हाँ यही
जब मैं कविता की तरफ़ रवाना होता हूँ
कि जिस समय
मैं विचार से टकराता हूँ
वह एक दीवार होती है
चिड़िया तक नहीं हिलती मुंडेर से
चींटी भी नहीं गिरती
काँपता हुआ हटता हूँ मैं
काँपता हुआ बेहिसाब ।