क्रांति की पाक किताब के
हर पन्ने पर इंकलाब लिख दो
जुल्म की हर चाल के खिलाफ
इंसाफ का सैलाब लिख दो
ठगी, फरेब, बेईमानी के खिलाफ
मेहनतकशों की बुलंद आवाज लिख दो
जमींदोज होंगे उनके नापाक इरादे सभी
अपनी कलम से उन्हें बरबाद लिख दो
सदियों से शोषित मानवता के पक्ष में
बस इंकलाब, इंकलाब, इंकलाब लिख दो!