Last modified on 9 जनवरी 2008, at 21:25

विद्वान अंधेरा / केदारनाथ अग्रवाल




विद्वान अंधेरा

ढपोरशंखी सूर्य

दोनों हमारे हैं

और हम

उनके सहारे हैं

थके हुए

हारे हैं



(रचनाकाल : 27.07.1966)