Last modified on 7 मार्च 2011, at 21:20

विनय कर रही / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें
 
कहा दयामय ईश्वर ने,
‘ओ पीड़ित नारी !
मुझे ज्ञात है व्यथा तुम्हारे उर की सारी,
तुम कल शाम नदी के
निर्जन तट पर जाना
प्रिय से मिलना
और हृदय की व्यथा मिटाना’