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विपदा है करुणाभा, दुःख तुम्हारा है प्रभु / हनुमानप्रसाद पोद्दार

’विपदा है करुणाभा, दुःख तुम्हारा है प्रभु! आशीर्वाद।
है प्रतिकूल परिस्थिति जगकी सुख-परिणामी बिना विवाद’॥
यह अनुभूति करा दो, हे प्रभु! जाग्रत कर दो यह विश्वास।
लगा रहे मन नित्य तुम्हारे चरणोंमें कल्याण-निवास॥
सब कुछ भूल, नित्य तुमसे प्रभु! जुड़ा रहे जीवन निर्बाध।
तृप्त रहूँ मैं नित्ययुक्त हो, रहे न को‌ई भी मन-साध॥
रहूँ देखता हर हालतमें सदा तुम्हारी मुख-मुसकान।
स्मरण बने जीवनका जीवन, एक तुम्हारा ही हो ध्यान॥