अजनबी ज़ुबानो में खुदे
सिक्के और मोहरें
आहन, मिटटी के बर्तन टूटे-फूटे
देवी-देवताओं की खंडित प्रतिमाएं
मिटटी में पोशीदा ज़ेवर
कुंद हथियार
पक्के स्नानागार
क्या बस यही विरसा है हमारा?
सोचती हूँ
जाने से पहले
मिटटी में गाड़ जाऊँ.
सहेजा...संजोया
"प्रेम "