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विरासत / शैलेन्द्र चौहान

गाँव में हुआ जब
पहला खून,
पहली डकैती,
पहला बलात्कार

यद्यपि कुछ भी
पहली बार नहीं हुआ था
उनकी याददाश्त की
समय सीमा ही थी वह

सन्न थे सब
अवाक !
लगा था उन्हें आघात
भय से पीले पड़ने की
हद तक

धीरे-धीरे वे सहज हुए
फिर बाद को
उनकी संतानें
अभ्यस्त हो गईं
ऐसी वारदातों की