भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे वो।
हवा निहि लागे वो बेनि पंखो ढुलाइ दे।
पंखो नि चाले तो बेनी रेडियो चालादू दे।
बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे।
- बनी तेरी हवेली में हवा नहीं लग रही है, पंखा चला दे। पंखा नहीं चले तो रेडियो चालू कर दे।