भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अतरि जुवानिमा लेहर्यो फुंदो, धड़े मेलिन् नाचो वो।
नि माने ते मा माने लहर्यो फुंदो, मेलिन नाचों वो।
फुंदा वाली धन्लि मारि उभिकरो, फुंद्याली दवड़ाउंवो।
नि माने ते मा माने उभिकारो, फुंद्याली दवड़ाउंवो।
अतरि जुवान मा लेहर्यो फुंदो, धड़े मेलिन् नाचो वो।
- दुल्हन के आँगन में महिलाएँ नाचते हुए गा रही हैं-
इतनी जवानी मंे चोटी का लहर्या फंुदा एक तरफ करके नाच रही हूँ। न माने तो मत माने। मेरी कमर में फुंदे लगे हैं, उसे खड़ी करके और दौड़ाऊँ। मन न माने तो खड़ी करूँ और दौड़ाऊँ।