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विवाह गीत / 1 / भील

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भोलो ईश्वर अकनो कुवारो।
भोली गवरां नी मांगणी करे।
भोलो ईश्वर बाने बठो।
भोली गवरां बाने बठी।
सीदा वादा करें।
भोला ईश्वर नी बरात चाली।
भोली गवरां ना फेरा लाग्या।
बरात पछि घेर आवी।
लाव वो रांड मारा जूटा देख दे।
सातला नो ईसो कर्यो गवरां।
पागड़ी नो ईसोवो ईश्वर ना माथा हेट।
चाल ने घरी उतरी न पड़ी वो भूंड ना भंवरे।
भंवरा मा गइ वा वासिंग ना बायणें।
आवा वा बयण, आव वा बयण।
असो काइ बोले तू मोटा ना मोटा।
खादो ने पीछे व रात काटी।
नाथ ने मुरखा मारा मुंहडे।
रास ने धरी वो गवरा आई।
निंदरान् उड्या वो भोला ईश्वर ना।
काइ वो रांड काहाँ गयली।
रोला ना भर्या डील गंधये।
नंदे उँघले मि गयली।
नव महाना ना दाहड़ा गिणे गवरां।
महना गिणें वो भोली गवरां।
पूरा हया वो नव महना।
पेट मा हुल्क्यो वो गवरो गणेस।
सुयण लावे वो भोलो ईश्वर।
गवरो गणेस पेट मा हुलके।
हात मेल्यों वो सदा सुयण।
खलाके लेता जाइ पड्यो गणेस।
नालों कांटे सदा वा सुयण।
नाहवा ने धोवा करे सुयण दायण।
झोली ने पलाणं वा गवरां घाले।
पणीला भरे वा भोली गवरां।
देखजी रे ईश्वर इना बाला के।
मीं ते जाऊं रे पाणीला भरने।
ईश्वर ऊठ्यो ऊँचो माथो करिन्।
नव धार्यो खांडो वो हेड्यो ईश्वर।
गणेस नो माथो वो काट्यो ईश्वर।
फगाट देधो वो दरियाव माहीं।
गवरां न रोवे वो माथु ठोके।
बालवा नो माथो काहा वो काट्यो।
मारो ते मुंड्को काटी नारवनो।
छाती न माथो ठोके भोली गवरां।
तारा वा बालवा के करूं सरजीवण।
तूते झुणी रेड़े वा गवरां।
ईश्वर धरी ने चाल धरी, हातिड़ा ना बन मा।
नवसौ हातिड़ा घेर्या ईश्वर, लायो रे दरियाव पर।
हातिड़ा ने चूसी रे दरियाव चूसी भसम उडाड़यो।
कछ ने मछ फफड़ी रह्या, गणेस नो माथो हेरे ईश्वर।
मछ ने कछ ना पेटे चीरे, मछ ने कछ बोलि पड़्या।
हामरा पेट ते मा चिरे ईश्वर मा चीरे भोला ईश्वर।
माथा काजे तु हामु खाइन् घेरी नाख्यो।
कछ ने मछ बोलि रह्या।
हातिड़ा नो माथो वारूस रहसे।
ईश्वर लेधो रे नव धार्यो खांडो।
हातिड़ा नो माथो काटी नाख्यो।
माथो हाकल्यो भोलो ईश्वर।
माथोली न चाल देधो घेर।
गवरा गणेस नो जाड्यो माथो।
गजरा गणेस काजे कर्यो सरजीवण।
मंगाला माथा ना बण्यो रे गणेस रे।
वाटका डोलानो रे बण्यों रे गणेस रे।
कुसलाज दाँत नो रे, कुटकाज होट नो रे बण्यो रे गणेस।
तारा मुंहड़े रे भरी रे सूंड रे।
सूंड ने मुंडे खाय रे गणेस।
चवड़ी छाती नो रे बण्यो रे गणेस रे।
पराल्या सातला नो रे, बण्यो रे गणेस रे।
थामलाज् पल्यिा नो रे बण्यो रे गणेस रे।
छाबड़्याज् पाय नो रे बण्यो रे गणेस रे।
उठता ने बसता रे नाव तारो रे सार से रे।

- भोले स्वभाव के शंकर भगवान अखण्ड कुँवारे हैं। भोली गौरी से मंगनी करते हैं।
भोले शंकर वाने बैठें। भोली गौरी वाने बैठी। अनाज, दाल आदि तैयार कर रहे हैं।
भोले भगवान की बारात चली। भोली गौरी से फेरे हुए (भँवर पड़े)। बारात वापस घर
आई। शंकरजी ने गौरा से कहा- मेरी जटा में जुएँ देख दे। गौरी ने महादेवजी का सिर
अपनी जंघा पर रखा। गौरी ने महादेवजी को निद्रामग्न देखा तो अपनी जंघा हटाकर
पगड़ी का तकिया लगा दिया। गौरी चल पड़ीं और पाताल लोक मंे पहुँची। पाताल में
शेषनाग ने कहा- बहन आ। ऐसा क्या बोल रहा है? तू बड़े लोगों में सबसे बड़ा है।
शंकरजी की निद्रा टूटी तो कहने लगे तू कहाँ थी? तेरी देह से रोले की खुशबू आ रही है।
गौरी बोली- मैं नदी पर स्नान करने गई थी। नौ महीने के दिन गौरी गिन रही है। नौ
महीने पूरे हुए। पेट में गणेशजी दुःख रहे हैं (प्रसव पीड़ा होने लगी)। भोले भगवान दाई को
लाते हैं। गणेशजी पेट में दुःख रहे हैं। दायण ने प्रसव हेतु हाथ रखा। गणेशजी पेट से एकदम
निकले। दायण ने नाला काटा। दायण स्नान कराकर कपड़े धोती है। गौरी गणेशजी को पालने
में झुलाती हैं। गौरी पानी भरने जाती हैं। भगवान! इस बालक को देखना, मैं पानी लेने को
जाती हूँ।

(शंकरजी को शंका हो गई थी कि प्रथम रात्रि में मैं निद्रामग्न था और गौरी मुझे छोड़कर पगड़ी का
तकिया सिर के नीचे लगाकर कहाँ चली गयी थी?)

शंकर ऊँचा सिर करके उठे। नौ धार का खांडा शंकरजी ने निकाला। शंकरजी ने गणेशजी का सिर काट लिया। सिर समुद्र में फेंक दिया। गौरी रोती हैं और सिर पीट रही हैं। बालक का सिर क्यों काट दिया? मेरा सिर काट देते। गौरी सिर और छाती पीट रही हैं। तेरे बालक को मैं पुनः जीवित कर दूँगा, गौरी तू मत रो! भगवान हाथियों के जंगल में चल पड़े। नौ सौ हाथियों को हाँककर समुद्र पर लाये। हाथियों ने समुद्र चूस-चूसकर सुखा दिया। कछुए और मछलियाँ फड़फड़ाने लगे। भगवान गणेश का सिर खोज रहे हैं।
मछलियों और कछुओं के पेट चीर रहे हैं। मछलियाँ और कछुए बोल उठे, हमारे पेट मत चीरो भगवान, मत चीरो भोले भगवान! सिर को तो हमने खाकर हजम कर मल द्वार से निकाल दिया। कछ-मछ बोल रहे हैं। हाथी का सिर अच्छा रहेगा। शंकरजी ने नौ धारवाला खाँडा उठाया। हाथी का सिर काट लिया। भोले भगवान ने हाथी का सिर उठाया। सिर लेकर घर चल पड़े। गौरी ने गणेश का सिर जोड़ दिया। गणेशजी को पुनर्जीवित किया। चूल्हे के ठीयों के समान सिरवाले गणेशजी बने। कटोरी के समान आँखों वाले गणेशजी बने। कुसले के समान दाँत वाले, कटे हुए ओंठ के गणेशजी बने। मुँह पर सूँड लगा दी है। सूँड के द्वारा गणेशजी खा रहे हैं। गणेशजी का सीना चौड़ा बना है। लम्बी-मोटी जंघा वाले गणेशजी बने। खम्भे के समान पिंडलीवाले गणेशजी बने। चौड़े पंजो वाले गणेशजी बने। दुनिया उठते-बैठते आपका नाम स्मरण करेगी।