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08:06, 9 दिसम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल
|संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण कुमार नागपाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>आम आदमी
को गिराया जा सकता है
पत्थर मार कर
कच्चे आम की तरह
पर भूलना यह भी नहीं चाहिए
कि आम आदमी
यदि चाहे तो
पूँजीपति के पेट में मरोड़ पैदा कर सकता है
हाज़मा बिगाड़ सकता है
और कारण वन सकता है दस्त का
कच्चे आम की तरह
</poem>