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झुण्ड बनाकर ब्रह्माण्ड में रंभाता घूमा नहीं
ख़ुद को ही रचता गया, यह आदत कभी गई नहीं ।
 
'''मूल मराठी से अनुवाद : सूर्यनारायण रणसुभे'''
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