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मकानों के थे या ज़मानों के थे / शीन काफ़ निज़ाम
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16:36, 12 दिसम्बर 2010
सफ़र यूँ तो सब आसमानों के थे
क़रीने मगर
कैदखानों क़ैद
क़ैदखानों
के थे
थे वहमों के कुछ-कुछ गुमानों के थे
द्विजेन्द्र द्विज
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