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जड़ की मुसकान / हरिवंशराय बच्चन
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04:20, 13 दिसम्बर 2010
::::पतझर में झर
:::बाहर-फूट फिर
छहराती
छहरती
हैं,
विथकित चित पंथी का
Tusharmj
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