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इंसान की मुकम्मिल पहचान मेरे राम / पवन कुमार मिश्र
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05:02, 15 दिसम्बर 2010
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मुल्क की उम्मीद-ओ -अरमान मेरे राम,
इंसान की मुकम्मिल पहचान मेरे राम।
वतन में मुश्किलों का तूफ़ान मेरे राम,
फिर से पुकारता है हिन्दुस्तान मेरे राम।
</poem>
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Pawan kumar mishra
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