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नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम / शलभ श्रीराम सिंह
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15:26, 20 दिसम्बर 2010
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें हों शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
वहाँ न चुप रहेंगे हम,कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक हमारा हक हमें जानब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
</poem>
अजीत साहनी
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