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'''ये गीत अधूरा नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दमघिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिएजवाब-दर-सवाल हैके इन्क़लाब चाहिएइन्क़लाब ज़िन्दाबाद, आपके पास ज़िन्दाबाद इन्क़लाब - २जहाँ आवाम के ख़िलाफ़ साज़िशें हो शान सेजहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान सेजहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ होजहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ होवहाँ न चुप रहेंगे हम कहेंगे हाँ कहेंगे हमहमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिएजवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिएइन्क़लाब ज़िन्दाबाद, इन्क़लाब इन्क़लाब -२ यक़ीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकरवही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान करउन्ही की सरहदों में क़ैद हैं हमारी बोलियाँवही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँजो इनका भेद खोल दे हर एक बात बोल देहमारे हाथ में वही खुली क़िताब चाहिएघिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिएजवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिएइन्क़लाब ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद इन्क़लाब वतन के नाम पर ख़ुशी से जो हुए हैं बेवतनउन्ही की आह बेअसर उन्ही की लाश बेकफ़नलहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सकेकरें तो इसे पूरा क्या करें भला जो जी सके न मर सकेस्याह ज़िन्दगी के नाम जिनकी हर सुबह और शामउनके आसमान को सुर्ख़ आफ़ताब चाहिएघिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिएजवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिएइन्क़लाब ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद इन्क़लाब -2 तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल परनिगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर दें ।किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुएतुझे था जिनका इन्तज़ार वो जवाब क्या हुएतू इनकी झूठी बात पर ना और ऐतबार करके तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिएघिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिएनफ़स-नफ़स क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दमजवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिएइन्क़लाब ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें ख़िलाफ साज़िशें हों शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
वहाँ न चुप रहेंगे हम,कहेंगे हाँ कहेंगे हमहमारा हक हक़ हमारा हक हक़ हमें जनाब चाहिए इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
 
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