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अपने घर में ख़ुद ही आग लगा लेते हैं / आलम खुर्शीद
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03:20, 28 दिसम्बर 2010
हम ख़ंजर पर नाम अपना लिखवा लेते हैं
रस
रास
नहीं आता है हमको उजला दामन
रुसवाई के गुल-बूटे बनवा लेते हैं
द्विजेन्द्र द्विज
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