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दीवारों को घर समझा था / कुमार अनिल
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|रचनाकार=कुमार अनिल
|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल
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<poem>दीवारों को घर समझा था
मैं कम से कमतर समझा था
Shrddha
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