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03:48, 2 जनवरी 2011 <poem>आप खुशियाँ मनाएँ नए साल में
बस हँसे, मुस्कुराएँ नए साल में
गीत गाते रहें, गुनगुनाते रहें
हैं ये शुभ-कामनाएं नए साल में
रेत, मिटटी के घर में बहुत रह लिए
घर दिलों में बनायें नए साल में
अब न बातें दिलों की दिलों में रहें
कुछ सुने, कुछ सुनाएँ नए साल में
जान देते हैं जो देश के वास्ते
गीत उनके ही गायें नए साल में
भूल हमको गए हैं जो पिछले बरस
हम उन्हें याद आयें नए साल में</poem>