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05:54, 2 जनवरी 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रविकांत अनमोल
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<poem>
कोई ताज़ा ख़्याल दे मौला
दिल से ग़फ़्लत निकाल दे मौला
हर तरफ़ अम्न हो महब्बत हो
कोई ऐसा भी साल दे मौला
शुक्र दे सब्र दे सदाकत दे
चाहे रंजो-मलाल दे मौला
अम्न का रास्ता दिखे सब को
हाथ में वो मशाल दे मौला
उसका चेहरा नज़र में दे हर पल
हिज्र दे या विसाल दे मौला
सारी दुनिया मुझे लगे अपनी
ऐसे सांचे में ढाल दे मौला
</poem>