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अपनी भीगी हुई पलकों पे सजा लो मुझको / नक़्श लायलपुरी
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14:57, 3 जनवरी 2011
गए सूरज की तरह लौट के आ जाऊँगा
तुमसे मैं रूठ गया हूँ तो
मन लो
मनालो
मुझको
एक आईना हूँ ऐ 'नक़्श' मैं पत्थर तो नहीं
टूट जाऊँगा न इस तरह उछालो मुझको
</poem>
SATISH SHUKLA
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