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गए सूरज की तरह लौट के आ जाऊँगा
तुमसे मैं रूठ गया हूँ तो मन लो मनालो मुझको
एक आईना हूँ ऐ 'नक़्श' मैं पत्थर तो नहीं
टूट जाऊँगा न इस तरह उछालो मुझको
</poem>
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