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17:01, 4 जनवरी 2011 {{KKGlobal}}
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| रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
| संग्रह =
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<poem>
ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो
दिल को जो छूले ऐसी बात कहो
आज मौसम की पहली बारिश में
तन्हा कैसे कटेगी रात कहो
पास बैठो कभी तो पल दो पल
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो
आज वो बेनक़ाब निकले हैं
आज की रात चाँद रात कहो
हो गया होगा रो के दिल हल्का
ग़म से पाई नहीं नजात कहो
ज़िन्दगी को सुकून देती है
मौत को राहते-हयात कहो
ख़ाक जलकर हुआ है कौन 'रक़ीब'
किसने खाई है किससे मात कहो
</poem>