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'''चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के प्रति स्नेह और श्रद्धा के साथ'''
 
चमक है पसीने की
कसी हुई मांसपेशियों पर,
शांत सोये वन में ।
उसी चमक के सहारे मैं जिऊँगा
हर हादसे में आए जख्मों ज़ख़्मों को सिऊँगा |
</poem>
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