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चमक / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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16:24, 6 जनवरी 2011
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'''चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के प्रति स्नेह और श्रद्धा के साथ'''
चमक है पसीने की
कसी हुई मांसपेशियों पर,
शांत सोये वन में ।
उसी चमक के सहारे मैं जिऊँगा
हर हादसे में आए
जख्मों
ज़ख़्मों
को सिऊँगा |
</poem>
अनिल जनविजय
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