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आहत युगबोध / जगदीश व्योम
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07:03, 9 जनवरी 2011
युग क्या पहचाने हम कलम फकीरों को
हम
ते
तो
बदल देते युग की लकीरों को
धरती जब मांगती है विषपायी
-
कंठ तब
कभी शिव मीरा घनश्याम हुए हम
डा० जगदीश व्योम
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