गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर
18 bytes added
,
12:00, 9 जनवरी 2011
लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग ।
<बर>
गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग ।
<बर>
तहां बचावे अंग,
Vaibhav Kumar Nain
44
edits