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लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर
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12:07, 9 जनवरी 2011
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|रचनाकार=गिरिधर
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[[Category:कुण्डलियाँ]]
<poem>
लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । <br />
गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग । <br />
तहां बचावे अंग,
</poem>
Vaibhav Kumar Nain
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