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आपका अनुरोध

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<b>इस पन्ने पर से आप कुछ भी मिटायें नहीं |-|||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||<br><br></center>
तुलसीदास का दोहा -
<b>आवत ही हरशै नहीं , नैनं नहीं सनेह |
तुलसी तहा न जाईये , चाहे कंचन बरसे मेह ||
</b>
कहाँ से लिया गया है?