Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गीत चतुर्वेदी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> पिता पचपन के ह…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पिता पचपन के हैं पैंसठ से ज़्यादा लगते हैं<BR />
पच्चीस का भाई पैंतीस से कम का<BR />
क्या इक्कीस का मैं तीस-बत्तीस का दिखता हूं<BR />
<BR />
माँ-भाभी भी बुढ़ौती की देहरी पर खड़े <BR />
बिल्‍कुल छोटी भतीजी है ढाई साल की <BR />
लोग पूछते हैं पाँच की हो गई होगी <BR />
<BR />
पता नहीं क्या है परिवार की आनुवांशिकता<BR />
जीन्स डब्ल्यूबीसी हीमोग्लोबीन हार्मोन्स ऊतक फूतक सूतक<BR />
क्या कम है क्या ज़्यादा<BR />
<BR />
धूप में रखते हैं बदन का पसीना <BR />
या पहले-चौथे ग्रह में बैठे वृद्ध ग्रह का कमाल <BR />
चिकने चेहरों से भरी इस मुंबई नगरिया में<BR />
मेरा ख़ानदान कितना संघर्षशील है सो असुंदर है<BR />
<BR />
अभी कल ही तो भुजंग मेश्राम पूछकर गया था<BR />
उम्र से अधिक दिखना औक़ात से अधिक दिखना होता है क्या?<BR />
<BR />
अभी कल ही तो पूछ कर गया था भुजंग मेश्राम<BR />
माईला… ये पचास साल का लोकतंत्र<BR />
उन लोगों को कायको पांच हज़ार का है लगता?<BR />
<BR />
(१९९८)<BR />
</poem>
55
edits