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मेरे नगपति! मेरे विशाल!
साकार, दिव्य, गौरव विराट्,
पौरूष पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!
मेरी जननी के हिम-किरीट!
मेरे भारत के दिव्य भाल!