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मेरे नगपति! मेरे विशाल! / रामधारी सिंह "दिनकर"
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13:25, 14 जनवरी 2011
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
साकार, दिव्य, गौरव विराट्,
पौरूष
पौरुष
के पुन्जीभूत ज्वाल!
मेरी जननी के हिम-किरीट!
मेरे भारत के दिव्य भाल!
डा० जगदीश व्योम
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