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प्रिय प्रवास / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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15:59, 15 जनवरी 2011
/* पवन - दूतिका */
== पवन - दूतिका ==
<poem>
बैठी खिन्ना यक दिवस वे गेह
मे थी
में थीं
अकेली
।
आके आँसू दृग-युगल में थें धरा को भिगोते ।।
आई धीरे इस सदन में
पुष्प-सद्गंध को ले ।
प्रातः वाली सुपवन इसी काल वातायनों से ।।१।।
</poem>
Vaibhav Kumar Nain
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