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सामाजिकता का तकाजा है / हेमन्त शेष
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06:08, 17 जनवरी 2011
|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
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सामाजिकता का तकाजा है
मेरी मानें तो अभी आप हजामत न बनाएँ
(अर्थी के साथ जाते हुए
तो कम से कम किसी को प्रफुल्लित और चाक-चौबन्द
नज़र नहीं आना चाहिए!)
</poem>
अनिल जनविजय
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