शिक्षा और पालन-पोषण उत्तराखण्ड और उत्तरप्रदेश में।
शिक्षा - बी०ए,
हिंदी में अगस्त मुनि स्कूल रुद्रप्रयाग में अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे।
कार्यक्रम में शिरकत।
कई प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित ।
चन्द्रकुँवर पर्वतीय क्षेत्र के ऐसे कवि हैं, जिन्हें ईश्वर ने मात्र 27 वर्ष का जीवन दिया। इसके बावजूद उन्होणे हिन्दी में करीब साढ़े आठ सौ कविताएँ लिखीं । यहाँ हम विस्तार से उनके कृतित्त्व का विवेचन कर रहे हैं।
--- जुनेद अहमद तत्कालीन नायब
14 सितम्बर की तिथि मात्र हिन्दी दिवस के रूप में याद किये जाने का दिवस नहीं है। यह दिवस हिन्दी कविता जगत की एक ऐसी विभूति के निर्वाण का दिवस भी है जिसने मात्र 27 वर्ष के अपने जीवन काल में हिन्दी को ऐसी समृद्वशाली रचनायें दी जो अनेक विद्वजनों के लिये आज भी शोध का विषय बनी हुयी हैं। 21 अगस्त 1919 में ई0 में तत्कालीन गढवाल जनपद के चमोली नामक स्थान मे मालकोटी नाम के ग्राम में एक निष्ठावान अध्यापक श्री भूपाल सिंह बर्त्वाल के घर पर एक बालक का जन्म हुआ। (इनके जन्म की तिथि के संबंध में यह विवाद है कि यह 21 अगस्त 1919 है अथवा 20 अगस्त 1919। डा0 हर्षमणि भट्ट द्वारा निष्पादित शोध में यह प्रमाणित हुआ कि कविवर चन्द्र कुंवर बर्त्वाल की जन्म तिथि 21 अगस्त 1919 है ) उनके नाम के सम्बन्ध में भी डा0 हर्षमणि भट्ट द्वारा निष्पादित शोध में यह अवधारित हुआ कि कविवर चन्द्र कुंवर बर्त्वाल का असली नाम कुंवर सिंह बर्त्वाल था। श्री चन्द्र कुंवर की मां का दिया हुआ नाम श्रीचन्द्र था तथा उनके पिता का दिया हुआ नाम कुँवर सिंह था और इनका प्रसिद्ध साहित्यिक नाम है श्रीचन्द्रकॅुवर। इस प्रकार माँ और पिता दोनो की भावनाओं की रक्षा हो सके इसलिये उन्होंने अपना साहित्यिक नाम चन्द्रकॅुवर अपनाया था। वे अपनी माता पिता की प्रथम और इकलौती संतान थे।