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घर की याद-3 / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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16:14, 23 जनवरी 2011
कोकिल मेरे ऊपर कूकी
फूलों से झर-झर सुरभि झरी
केसर
-सी
से
पीत हुई भ्रमरीकेसर
-सी
से
दूर्वा ढकी हुई
कितना एकांत यहाँ पर है
अनिल जनविजय
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