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शिशिर / बरीस पास्तेरनाक

1 byte added, 14:44, 24 जनवरी 2011
अपने नन्हे-मुन्नों को
तितर-बितर हो जाने दिया
एकाजीवन एक आजीवन अकेलापन छाया है
प्रकृति में और हृदय में ।
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