|भाषा=हिन्दी
|विषय=कविताएँ
|शैली=खंडकाव्यमहाकाव्य
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|ISBN=--
|विविध=इस ग्रंथ को खड़ीबोली का प्रथम महाकाव्य होने का गौरव प्राप्त है।
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[[Category:खंडकाव्यमहाकाव्य]]
== पवन - दूतिका ==
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बैठी खिन्ना यक दिवस वे गेह में थीं अकेली । [[प्रथम सर्ग / प्रिय प्रवास / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’]]आके आँसू दृग-युगल में थें धरा को भिगोते ।।आई धीरे इस सदन में पुष्प-सद्गंध को ले ।प्रातः वाली सुपवन इसी काल वातायनों से ।।१।।
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