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झील का किनारा / अज्ञेय
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12:42, 2 फ़रवरी 2011
न फिर जली, न चिर-काल पली,
न हमसे सँभली ।
:::
::::या कि अपने को उतना वैसा
:::
::::हमीं ने दुबारा फिर नहीं दिया ?
</poem>
अनिल जनविजय
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