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18:22, 4 फ़रवरी 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एहतराम इस्लाम
|संग्रह= है तो है / एहतराम इस्लाम
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
बदली कहाँ हालात की तस्वीर वही है
करा है वही, पाँव की जंजीर वही है
बदली हुई इस घर की हर इक चीज है लेकिन
दीवार पे लटकी हुई तस्वीर वही है
लहराते हैं हर लम्हा नए रंग के सपने
हर चाँद की आखों में बसे पीर वही है
जो कुछ भी दया दृष्टि से मिल जाये किसी की
उपलब्धि वाही है में तकदीर वही है
अवसर को उचक लेने की रखता है जो क्षमता
इस युग का वही कृष्ण है रघुवीर वही है
</poem>