Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एहतराम इस्लाम |संग्रह= है तो है / एहतराम इस्लाम }} …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एहतराम इस्लाम
|संग्रह= है तो है / एहतराम इस्लाम
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>

अग्नि शय्या पर सो रहे हैं लोग
किस कार्ड सर्द पड़ चुके हैं लोग

तोडना चाहते हैं अमृत फल
जहर के बीज बो रहे हैं लोग

मंजिलों की तलाश है इनको
एक दर पर खड़े हुए हीं लोग

कापते हीं सड़क पे सर्दी से
बंद कमरों में खौलते हैं लोग

स्वर्ग से अप्सराएँ उतारी हैं
स्वप्न भी खूब देखते हैं लोग
</poem>