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19:01, 4 फ़रवरी 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एहतराम इस्लाम
|संग्रह= है तो है / एहतराम इस्लाम
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
शक्ल मेरी क्या चमकी
आपकी सभा चमकी
गहरी कालिमा चमकी
या मेरी दुआ चमकी
ज्योति पा गई धरती
बन के आईना चमकी
मेरे जख्म क्या चमके
आपकी अदा चमकी
सत्य की सुरक्षा में
जंग -ए - कर्बला चमकी
खैर प्यारे हिरणों की
मृग- मरीचिका चमकी
</poem>